Sunday, April 5, 2009

नशा...

कुछ अजीब सा लग रहा होगा....तुम्हें भी इस तस्वीर को देखते हुए....मुझे भी लगा था......कुछ ऐसा ही जैसे ही इसे देखा और महसूस हुआ...अरे कहीं ये मेरी तो तस्वीर नहीं.....कि कहीं किसी रोज़ खींची हो.....और खींच कर यूंही कहीं डाल दी......इस ब्रहमांड के किसी कोने में....तुरत-फुरत.....ये भी कोई जलपरी जैसी तो नहीं....जिसे देखने पर दुनिया कौतूहूल से भर जाए....ये तो महज़ तस्वीर.....खाम्ख्वाह नाराज़ क्या होना.....इसे देखते...इसे देखो मत......इसे समझो क्या कहना चाह रही है.......ये भी शायद इंतज़ार में.......मेरी तरह.......पर इंतज़ार में थोड़ा सा फर्क......क्योंकि इसे तुम्हारा इंतज़ार नहीं....इसे किसका.....मुझे मतलब नहीं.....बस इस तस्वीर पर दिल आ गया....कोई अपना सा नज़र आ गया.....जो मेरी ही तरह.....बिना नशे के भी मदहोश रहता है.....जिसके आस-पास तुम्हारे उस ब्लैक गोल्ड की चिलम धुंआ उड़ाती है....जो तुम पहाड़ों से किसी और के लिए लेकर आते हो...तुम हमेशा कहते हो.......एक अजब एहसास होता है......तुम नहीं समझोगी.....आज मैं तुमसे कह रही हूं......तुम नहीं समझोगे.......क्योंकि वो एहसास हरदम-हरपल मुझे अपनी गिरफ्त में रखता है.....किसी नशेड़ी की तरह......हालात से बेकाबू जज्बात की तरह.....तुम्हारी ही जेब के ब्लैकगोल्ड की तरह......वोदका की तरह.....स्कॉच की तरह.......रम की मदहोश महक की तरह.......उस वाइन की तरह........जो मैने कभी नही चखी......पर इन सबका स्वाद मेरी ज़बान पर रहता है.....जैसे तुम मेरे ज़हन के हर ज़र्रे पर अपनी पहचान रखते हो.......बड़ा दर्दभरा हसीन सफर है ये......किसी अफीम की पिनक की तरह.........दुनिया का कोई भी नशा पूछो.......मुझसे पूछो......चखना चाहते हो.......मुझमें चखो.......मेरी ज़बान पर हर नशे का नफीस स्वाद....बिल्कुल वैसे ही....जैसे मेरी उंगलियों पर तुम्हारे खाने का लज़ीज़ स्वाद आजतक धुला नहीं........मेरी हर गिरह में झांककर देखो.......कौन सी मदहोश करने वाली तुम्हारी ही खुशबू महसूस कर पाते हो......भूल गए तुम......सबकुछ भूल गए....यहां सबकुछ तुम्हारा...सबकुछ......कुछ भी भूल जाओ अपना.....तो मुझसे बेझिझक ले जाना....तुम्हारा सबकुछ मेरे पास औऱ मेरे अंदर.....तु्म्हारे नशे में रहती हूं.....मदहोश रहती हूं....पर तुम्हारा होश हर दम रहता है.....एक बार आके देखो.....मेरी आंखो के लाल डोरे....तुम्हारे लाल सुर्ख रंग का इंतज़ार कर रहे हैं.....मेरी ये सांसे आज भी तुम्हारी ही किसी खुशबू के दम पर चल रही हैं....तुम नहीं जानते कि तुम हो....ये तुम ही हो....पर तुम्हें नहीं पता कि तुम मेरे लिए क्या हो.........

11 comments:

अनिल कान्त said...

तनु जी बेहद खूबसूरत खयालातों और दिल को परोसा है आपने

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।

Unknown said...

जोशी जी बहुत खूब । सुन्दर भावाव्यक्ति । धन्यवाद

PREETI BARTHWAL said...

तनु जी बहुत सुन्दर लिखा है।

संगीता पुरी said...

बहुत सुदर अभिव्‍यक्ति हुई है।

MANVINDER BHIMBER said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।

mehek said...

बहुत सुदर

संध्या आर्य said...

काश ये तस्विर मेरी होती,क्योकि पिक्चर मे जो सकून है वह मेरा होता................

Anonymous said...

अति सुन्दर.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

adbhut........adbhut........adbhut.....!!

Puja Upadhyay said...

बेहद खूबसूरत...लफ्जों में बड़ी कशिश है.