Tuesday, September 16, 2008

माननीय शिवराज जी....

थोड़ी सी चर्चा हमारे देश के गृह मंत्री के बारे में भी.......नाम शिवराज पाटिल...पहचान बताने की शायद अब कोई जरुरत नहीं ....आज इन्हें देश का बच्चा बच्चा जानता है....ये कितने जिम्मेदार है इस बात की तस्दीक इनके बयान और इनकी संजीदगी करती है ।

हम और आप शायद इन धमाकों से उबर ना पाएं लेकिन .....शिवराज जी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता ....इन्हें हादसों से ज्यादा चिन्ता अपने पहनावे की है.....कि कहीं मीडिया से रु ब रु होते वक्त कुछ कमी ना रह जाए.....लेकिन माननीय गृह मंत्री ये भूल जाते हैं कि जनता आपके कपड़ों को देखकर अपना गम नहीं भुलाती बल्कि वो तो इंसाफ चाहती है कि इन धमाकों में उसका क्या कुसूर....।

शिवराज जी...हद तो कर ही दी आपने ...शायद अपनों के जाने का गम आप समझ और महसूस नहीं कर पा रहे हैं.....तभी शायद हादसों के पीड़ितों से मिलने ....हादसों की जगह का दौरा करने और.... शायद पेज थ्री पार्टी में जाने में आप फर्क ही नहीं महसूस कर पाए......उन धमाकों के बाद ये भी भूल गए कि आपके कपड़ों से ज्यादा कीमती लोगों की जान है....

आपका भी दोष नहीं ....सिर्फ तीन ही बार तो बदले थे कपड़े .....अब मीडिया ने आपकी मिट्टी पलीत कर दी तो.....इसमें आपका क्या दोष.....सच ही तो है...कितने संजीदा थे आप.....लेकिन सिर्फ अपने आपको लेकर.......अपने कपड़ों को लेकर ....और मीडिया के सामने अपने प्रैजेन्टेशन को लेकर..........

जनता ज्यादा नहीं मांगती...अगर थोड़ा सा भी दर्द महसूस कर पाते तो शायद नंगे पांव दौड़े चले आते......शायद वो इसी से खुश हो जाती ....कि चलो कोई तो आया उनके दर्द को समझने और बांटने.......लेकिन आप भी क्या करें.....राजनीति करते करते ....बाल तो सफेद हुए हीं है....शायद चमड़ी भी मोटी होती जा रही है....

लेकिन आप ये क्यों भूल जातें हैं कि..... जिस कुर्सी और जिस पद की बदौलत आप इतना इतरा रहें है वो शायद इसी जनता की देन है .....जिसे गिराते ना तो वक्त लगेगा. और नाही आवाज़ आएगी फिर बदलते रहिएगा ......इत्मिनान से कपड़े....

आपको तो शर्म भी नहीं आती..... आपकी निश्चिंतता आप खुद ही बखारतें है.....जब शाम को बेशर्मी के साथ ये बयान देते हैं कि आलाकमान का हाथ आपके साथ है और पूरा आशीर्वाद भी....
वाह शिवराज जी वाह .....हमें शर्म आ गई आपका महिमामंडन करते-करते लेकिन शायद आप अपनी शर्म शायद उस कुर्सी के लिए दस जनपथ रख आएं...जिसका कोई ठिकाना भी नहीं कि कब आपको वहां से धक्का मिल जाए.......

कुछ शर्म बची हो तो बचा के रखिएगा ...काम आएगी....।

5 comments:

Shailendra kumar said...

KYA LIKHA HAI, KAMAL HAI...BAHUT AAGE JANA....THX

वर्षा said...

अरे वाह तनु, अच्छा लगा तुम्हें या पाकर। हम बहुत सारे लोगों के साथ चलते-देखते और खाते-पीते भी हैं लेकिन जानना अलग बात है। लिखती रहा करो।

सुधीर राघव said...

शिवराज पर भड़ास ही निकाली जा सकती है। गृहमंत्री कुछ विस्फोट से आदत बदल ले यह उम्मीद करना कुछ ज्यादा है। हमारे नगरिक भी अगर जिम्मेदार हो जाएं तो बहुत सी आतंकी घटनाएं रुक सकती हैं।

सुधीर राघव said...

अगर आप अपने ब्लाग से यह वर्ड वेरी फिकेशन हटा दें तो टिप्पणियां बढ़ सकती हैं। शायद वर्षा ने आपको यह सुझाव नहीं दिया।

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah
achha aalekh
achha prayas