Monday, November 3, 2008

शर्मनाक शिवराज जी...

बड़े दिनों बाद आज एक बार फिर माननीय शिवराज पाटिल नज़र आए टीवी स्क्रीन्स पर.... लेकिन इस बार, हालात कुछ बदले-बदले से थे....अपने कामों से ज्यादा अपने सोफेस्टिकेटड नेचर और स्टायल के लिए पहचाने जाने वाले शिवराज........और दीन-हीन ,हाथ जोड़ते ,गुज़ारिश करते.....नौटंकी करते....अपनी कायरता जगजाहिर करते......शिवराज...विश्वास तो नहीं हुआ फिर थोड़ा गौर से देखा और सुना तो पता चला कि अपनी कायरता और काहिली का ठीकरा मीडिया पर फोड़ने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं......कह रहें हैं कि हमें बख्श दो....मत फैलाओ ये आग......मत बनाओ ये अराजकता का माहौल.......गोया मीडिया ना हुआ.....आतंक का पर्याय हुआ

माननीय शिवराज पाटिल जी ठहरे हमारे देश के गृहमंत्री...अब तो बोलते भी शर्म आ रही है......कुछ कहेंगे तो सुनना तो लाज़िमी है....लेकिन अफसोस.....जब देश के गृहमंत्री का ये हाल है तो बाकी देश का क्या होगा...बारहाल बकौल गृहमंत्री....देश के जो भी हालात हैं...उन्हें मीडिया फैलाकर जनता को भड़काने की कोशिश कर रहा है.....उनकी मानें तो, उनका कहना है कि अगर असम में बम फट रहें है तो उत्तर-भारतीयों को मत बताओ....उन्हें वहीं मरने दो और अगर मुंबई नफरत की राजनीति में जल रही है तो उसे बाकी देश के हिस्सों में मत बताओ...इससे अराजकता फैलती है....लोगों के अंदर आग भड़कती है.... लेकिन हाथ जोड़कर नौटंकी करते वक्त शिवराज जी ये भूल गए कि मीडिया क्षेत्रवाद के तहत काम नहीं करता.....

कुल मिलाकर शिवराज जी चाहते हैं कि मीडिया देश में फैल रही अराजकता और नफरत की राजनीति की तरफ से या तो मुंह फेर ले या फिर उनकी तरह काहिली और नाकारेपन का लबादा लाद ले.....ना आंखे खुली होंगी...ना कुछ ग़लत देख पाएंगे...और नाही कोई कदम उठाने की ज़रुरत पड़ेगी....लेकिन वो ये भूल गए कि जिस बेशर्मी के साथ वो हाथ जोड़कर मीडिया के सामने अपनी दरिद्रता दिखा रहे थे...वो मीडिया इससे पहले भी आपकी पोल जनता के सामने खोल चुका है कि ...किस तरह इस देश का गृहमंत्री बम-विस्फोट होने,लोगों के मरने और विलाप करते परिजनों के सामने जाने से पहले अपने पहनावे और अपने स्टायल का खास ख्याल रखता है कि कहीं एक जगह के लोगों के सामने जो कपड़े पहने हुएं ...दूसरी जगह भी गर वोही पहने चला गया तो जनता क्या कहेगी ...सांत्वना देने आए गृहमंत्री के पास एक ही जोड़ी कपड़े हैं......जब गृहमंत्री ही इतना ग़रीब है तो हमारी क्या मदद कर पाएगा......क्यों शिवराज जी कुछ ऐसा ही सोचा था ना....

शायद सोचा तो कुछ ऐसा ही था कि कुछ पूछने से पहले ही मीडिया के ऊपर दोषारोपण कर दो शायद कुछ फायदा हो ...जवाब ही ना देने पड़ें....लेकिन शिवराज की चाल उन्ही पर उल्टी पड़ गई.. लेने के देने पड़ गए और एक बार उनकी कुर्सी,उनके पद,ओहदे और इस देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी...सबने देखा,सबने सुना और सबने सराहा.....धन्य हों शिवराज जी.......

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