Monday, October 11, 2010

इमोश्नल होना.......

इमोश्नल होना ..बड़ी अजब प्रक्रिया लगती है जिन्दगी की.....एकदम कंडिशन्ड......टाईम बार्ड....पर्सन बार्ड.... मैने देखा है....लोगो के लिए.....सड़क चलते किसी मरते इंसान में और बिस्तर पर पड़े किसी 'अपने' के लिए इमोश्नल होना बिल्कुल अलग....ऑफिस में किसी को कहते सुना कि दिक्कतो और डिप्रेशन से बाहर होना हो तो अस्पताल के चक्कर लगा कर आओ....दूसरो की तकलीफ के आगे खुद की तकलीफ भूल जाओगे.....
नही होता मुझसे .....तकलीफें बढ़ जाती हैं....और डिप्रेशन भी...
अब तक एहसास नही था....किसी को इमोशनल होते...रोते नही देखा....
कभी जाना ही नही....मुझसे ज्यादा भी कोई होगा ...जो रोता होगा..
पर उसे देखा तो इमोश्नल होने के मायने बदल गए
आंसुओ की तासीर बदल गई और रिश्तों का नया खाका खिंच गया
दुनिया की तहो में जमा कुछ सर्द सा एहसास सामने आया और रोयां रोयां खड़ा कर गया
अपने आंसू कहीं पीछे छोड़ जाने का मन हुआ और मन चट्टान सा हो गया
तब से अब तक आंसू नही निकले....
अब मन करता है .....उसके आंसू सोख लेने का....
हमेशा के लिए तस्वीर मे कुछ नए रंग भरने का......
रिश्तो में भी बहुत कुछ बारीकियां छिपी होती है......अच्छी भी और कुछ बेस्वाद भी....
खामी ना जाने क्यूं नज़र नही आती......
बहते बहते बस सबकुछ अपना सा ...इतना नज़दीक हो जाता है कि शायद आंखे भी आदी हो जाती है और अपना-दूसरे का फर्क करना भूल ही जाती हैं....ये भी सुना था कि आदतें यदि रोकी ना जाएं तो लत बन जाती हैं....
शायद मुझे भी लत लग गयी है....उसकी
अब जैसे रोकने की....मिलने की आदत हो गयी है
कुछ भी ....बस मुसलसल ही सही...
उसके आंसू भी....अपनी कोशिश भी.....
मन बस कुछ करता भी है तो.....
संग गुनगुनाने का...
वाजिब...गैर वाजिब सवाल जवाब...कही दफन कर देने का....
शक शुबहा.....अस्तित्व ही मिटा देने का....
और जिंदगी को नए आयाम देने का....
एक नयी सुबह का ...
एक नयी शाम का......!!

9 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत उम्दा भाव एवं संयोजन...बधाई.

संजय भास्‍कर said...

कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

सुधीर राघव said...

बहुत सही लिखा है आपने।

डॉ .अनुराग said...

एक नज़्म सी सीने में उतारी.....ओर उदासी पीछे छोड़ गयी

डिम्पल मल्होत्रा said...

इमोश्नल होना भी एक लत ही है....

शरद कोकास said...

बिलकुल कविता की तरह प्रस्तुति ।

Puja Upadhyay said...

कई दिन हो गए नयी पोस्ट आये हुए...कुछ लिखो ना!

parveen kumar snehi said...

AAPKI HAR EK POST BAAR BAAR PADHNE KA MAN KARTA HAI.... AAPKI LEKHNI PADHNE WALE KO KISI DUSRE JAHAAN ME LE JATI HAI...
DHANYAVAAD.....FOREVER.

parveen kumar snehi said...

ek arse se kuchh achchha nhi padha... aapki panktiyon ka intezar hai...