Sunday, April 11, 2010

ये लकीरें.....!!

कभी कभी कागज़ पर अनायास ही कुछ लकीरें खिंचती चली जाती हैं ...टेड़ी मेड़ी...अनगिनत महीन लकीरें.....इस जहन के नक्शे पर गढ़ती सी महसूस होती हैं......जाने क्या कहती......क्या छिपातीं .....जाने क्या उकेरतीं....भारहीन बनाती ...कभी बोझिल करतीं.....ये ऐसी...कुछ बारीक लकीरें...सिर्फ कागज़ ही नहीं....मेरे मन में भी गढ़ती हैं....अजीब लगता है पर.....वोही लकीरें सुलगती भी दिखती हैं.....जो मुझे सुलगाती हैं...मेरे अन्दर....एक ही तो तस्वीर होती है....जिसकी खुशबु बाहर तक बिन कहे आ जाती है.....किसी लोबान से उठते धुंए की तरह...और फ़क़त उसी जहाँ के अन्दर की पनाहों को कंही चीर जाती हैं ये लकीरें......अंदर....बनती बिगड़ती बटोही सी.......भटकती और भटकातीं भी....हर रह गुज़र से दरयाफ्त करतीं...अन्दर खोये इक तुम्हारे अक्स की तलाश करतीं...और एक बार फिर.....अपनी अनजान राह चलती.....ये लकीरें.....!!

12 comments:

दिलीप said...

किसी लोबान से उठते धुंए की तरह...और फ़क़त उसी जहाँ के अन्दर की पनाहों को कंही चीर जाती हैं ये लकीरें...
ye panktiyan dil ko chhoo gayi...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अंतर्द्वंद को दर्शाती अच्छी प्रस्तुति....कभी कभी ऐसे ही खिंच जाती हैं लकीरें ..

अनामिका की सदायें ...... said...

shabdo ko sunuyojit roop se dhaal kar man ki dasha ko darshati achhi rachna.

डॉ .अनुराग said...

कोई सूरत बनी...?

महुवा said...

कोशिश....कोशिश...और कोशिश....जारी है...!!

संजय भास्‍कर said...

वाह क्या बात है बेहद सुन्दर............

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Kya kuchh mila, kuchh bana?

रोली पाठक said...

अच्छी लेखनी है आपकी तनु जी...
एक अच्छा लेख!
पढकर अच्छा लगा!

Puja Upadhyay said...

ये लकीरें किसी बेहतरीन कलाकार के ब्रश स्ट्रोक्स की तरह एक खूबसूरत चित्र खींच रही हैं. तुम्हारी खुशबू लिए एक प्यारी रचना.

Puja Upadhyay said...

हाँ, भूल गयी थी...कल देर रात महुआ पर एक पोस्ट लिख रही थी...तुम्हारी बड़ी याद आई :) तो आज सुबह सुबह पढ़ने पहुँच गयी :)

महुवा said...

:-)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

सबसे पहले तो ब्लाग का नाम ही बेहद खूबसूरत है.. महुआ.. :)

लकीरो को इस तरह खीचने के बाद बस मन यही कहता है कि या तो किसी की एक तस्वीर बन जाये या तो आडा तिरछा किसी का नाम लिख जाये..