Tuesday, November 17, 2009

कुछ अच्छे का इंतज़ार....

कितना मुश्किल होता है...
ज़िंदगी बेसबब जीना...
हर आहट पे...
सिर्फ उम्मीदों का दामन थामना...
थामना....लौटना......
ज़िंदगी बेसबब जीना....
मानों कुछ अच्छे का इंतज़ार...
उसका इंतज़ारउसके लिए इंतज़ार....
ऐसे जैसे कभी कुछ थमता ही नहीं...
इतना लंबा और अनिश्चित नही होता
बस बहता और यूंही बेसबब बहता रहता...
पता नहीं..कभी थमेगा...ये बहता इंतज़ार...
एक ज़िंदगी सी बीतती...
बिना कहे...बिना सुने...
एक उसी लम्हे की ख़ातिर....
ज़िंदगी बेसबब जीना...बस जीते ही रहना...
इसी दरम्यां बनती महफिलों को सजाना....
इन्हें ब-अक्स रखना....
जाने कब से..
बस यही इंतज़ार...
शायद कुछ अच्छे का इंतज़ार....

9 comments:

राकेश जैन said...

sundar...all the best..

ओम आर्य said...

हाँ ,यही तो जिन्द्गी है जो ताउम्र बहती रहती है शायद इसी तरह ......बस अच्छे के इंतजार मे चलती रहती है .....एक ऐसा सपना जिन्दगी चाहती है जो कभी पुरी शायद नही होती है .....बस एक सुनहरे सपने की इंतजार है जिन्दगी!

MANVINDER BHIMBER said...

ज़िंदगी बेसबब जीना...बस जीते ही रहना...
इसी दरम्यां बनती महफिलों को सजाना....
इन्हें ब-अक्स रखना....
जाने कब से..
बस यही इंतज़ार...
शायद कुछ अच्छे का इंतज़ार.... khoobsurat likha hai

Mithilesh dubey said...

बेहद उम्दा रचना, लाजवाब अभिव्यक्ति।

दिगम्बर नासवा said...

बिना कहे...बिना सुने...
एक उसी लम्हे की ख़ातिर....
ज़िंदगी बेसबब जीना...बस जीते ही रहना...

shayad isi ko jeevan kahte hain ... intezaar .... aur intezaar ....
bahut achee rachna hai ...

डॉ .अनुराग said...

आमद सुखद है .....



सब कुछ बेसबब ही रहने दो....कभी कभी बेसबब सा कुछ बेशकीमती हो जाता है गुजर जाने के बाद .....

अबयज़ ख़ान said...

जिंदगी दिल के इरादें आज़माती है।
सपनो के परदे निगाहों से हटाती है।।
हौसला मत हार ऐ मुसाफ़िर...
ज़िंदगी हमें चलना और चलना सिखाती है।।

मैडम...इंतज़ार के बिना ज़िदगी जीने का मज़ा ही कहां

निर्मला कपिला said...

अनुजी बहुत सुन्दर जरूर करना चाहिये अच्छे का इन्तज़ारेआपका सपना ज्रूर पूरा होगा शुभकामनायें

neel said...

are ye to batana mahua ka matlab kya hota hai...aur mera bhi blog agar par kar tum kuch sunder sa comment de deti to mai apni jingi sarthak man lenta -madam