मेरा सावन भी तुम हो...मेरी प्यास भी तुम हो....
सहरा की बांहो में छुपी...वो आस भी तुम हो...
तुम यूंतो बहुत दूर हो मुझसे....पर
एहसास ये होता है....मेरे पास भी तुम हो....
हर ज़ख्म के आगोश में है दर्द तुम्हारा.....
हर दर्द में तस्क़ीन का एहसास भी तुम हो...
खो जाओ तो वीरान सी हो जातीं हैं राहें....
मिल जाओ तो फिर जीने का एहसास भी तुम हो....
लिखती हूं तो तुम ही उतरते हो कलम से....
पढ़ती हूं तो लहज़ा भी तुम हो.....
मेरी आवाज़ भी तुम हो....
क्या कहूं...क्या तुम समझ पाते हो....कि तुम क्या हो....
10 comments:
बहुत दिनो बाद कुछ पोस्ट करी आपने जो निहायत ही खुबसूरत भावो से सनी है.............तुम का होना भी कितना खुबसूरत एहसासो के आसपास होना है ..........यह आपके लेखनी से निकले तुम को समझना कितना आसान ..........पर वह क्या समझ पाते है कि तुम क्या हो? सच मे एक सवाल वाजिब भी लगता है!
लिखती हूं तो तुम ही उतरते हो कलम से....
पढ़ती हूं तो लहज़ा भी तुम हो.....
वाह वा...क्या भाव हैं...क्या शब्द हैं....लाजवाब...
नीरज
तुम ख्यालों से निकाले नहीं जाते...
तुम आंख से ओझल हो नहीं पाते...
तुम्हारी यादों ने कैद कर लिया है मुझे
तुम्ही बताओ ये जादू है, या तुम हो।
SAB KUCH TUM HI TO HO ... KAMAAL KA SHABD SANYOJAN HAI ...
हर ज़ख्म के आगोश में है दर्द तुम्हारा.....
हर दर्द में तस्क़ीन का एहसास भी तुम हो...
खो जाओ तो वीरान सी हो जातीं हैं राहें....
मिल जाओ तो फिर जीने का एहसास भी तुम हो....
bahut hi khoobsoorat lines hain....
behtareen abhivyakti ke saath ek bahut hi khoobsoorat kavita...
regards...
मेरी रचनाएँ !!!!!!
बीच-बीच में आप कहाँ विलुप्त { :-) } हो जाती हैं?
"लिखती हूं तो तुम ही उतरते हो कलम से....
पढ़ती हूं तो लहज़ा भी तुम हो"
सुंदर पंक्तियाँ !
vaah!!!! kya khoob kahi...
मेरा सावन भी तुम हो...मेरी प्यास भी तुम हो....bahut khub
Gazab!!kya baat hai ,kya baat hai!!
शब्दों के अद्भुत चयन से भावनाओं को भी अत्युत्तम अभिवक्ति मिली है I
बधाई !
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