उदासियों का सबब जो लिखना...
तो ये भी लिखना...
कि चांद...तारे...शहाब आंखे...
बदल गए हैं....
वो ज़िंदा लम्हें जो तेरी राहों में....
तेरे आने के मुंतज़िर थे....
वो थक के राहों में ढल गए हैं....
वो तेरी यादें....ख्याल तेरे....
वो रंज तेरे....मिसाल तेरे...
वो तेरी आंखे....सवाल तेरे...
वो तुमसे मेरे तमाम रिश्ते....
बिछड़ गए हैं...उजड़ गए हैं....
उदासियों का सबब जो लिखना...
तो ये लिखना....
मेरे इन होठों पर तुम्हारी दुआ के सूरज
पिघल गए हैं...
तमाम सपने ही जल गए हैं....
बाद मरने के तुम मेरी कहानी लिखना
कैसी हुआ सब बर्बाद, लिखना...
ये भी लिखना कि मेरे होंठ हंसी को तरसे....
कैसे बहता रहा मेरी आंखों से पानी......
लिखना....!!
12 comments:
बाद मरने के तुम मेरी कहानी लिखना
कैसी हुआ सब बर्बाद, लिखना...
ये भी लिखना कि मेरे होंठ हंसी को तरसे....
कैसे बहता रहा मेरी आंखों से पानी......
लिखना....!!
बहुत खूब तनु जी।
अबतक नहीं सुने तो आगे भी न सुनोगे
मेरी कब्र पे पढ़ोगे वही मरसिया पुराना
तनु जी
सादर वन्दे!
बहुत खूब...
डूबना ही हर एक कि किस्मत नहीं होती,
वही मिल जाये यही प्यार कि कीमत नहीं होती.
उदासियों का सबब जो लिखना...
तो ये लिखना....
मेरे इन होठों पर तुम्हारी दुआ के सूरज
पिघल गए हैं...khuub..bahut acchhey !
उदासियों का सबब जब लफ्जों में ढलता है तो अक्सर बड़ी उदास सी खूबसूरती लिए होता है. आज की इस कविता की तरह...
बेमिसाल....बेमिसाल .बेमिसाल....खास तौर से ये जुमला.....
"उदासियों का सबब जो लिखना...
तो ये लिखना...."
अजीब इत्तिफाक है डेड बजे के बाद से कम्पूटर पे बैठा हूँ ओर दो नज्मे ऐसी मिली जिन्हें चुरा लेने का जी चाहा ...पता नहीं आपने किस मूड में लिखी है .दिन के कौन से पहर में लिखी है .किसी खिड़की के किनारे से लिखी है ....पर "यू मेड माय डे"
बाद मरने के तुम मेरी कहानी लिखना
कैसी हुआ सब बर्बाद, लिखना...बेहतरीन रचना.
उदासियों का सबब जो लिखना...
तो ये लिखना....
मेरे इन होठों पर तुम्हारी दुआ के सूरज
पिघल गए हैं...
तमाम सपने ही जल गए हैं....
बाद मरने के तुम मेरी कहानी लिखना
कैसी हुआ सब बर्बाद, लिखना...
ये भी लिखना कि मेरे होंठ हंसी को तरसे....
कैसे बहता रहा मेरी आंखों से पानी......
लिखना....!!
बहुत ही सुन्दर रचना ........जिसमे भाव कुट कुटकर भरे पडे है .....आज मौन हूँ आपको पढकर .....यह पंक्तियाँ दिल को छू गयी
बेहद खूबसूरत रचना ...
क्या कारण है की दर्द और उदासियों में ही बेहतर कवितायेँ रची जा सकती है ..??
बहुत सुन्दर रचना .. बधाई ..और अब उदासियों से बाहर आकर मुस्कुरा भी दीजिये ..!!
जितनी खूबसूरत ये रचना है...दर्द भी उतनी गहराई से महसूस हुआ ...
bahot achchey !!!
aaj aapki kavita padhi ...main abhi kuch na kahna chahunga,kyonki , MD is waiting for me for a meeting .....later some other time , i will speak on this poem...
thanks for visiting my blog.. i request you to read my other poems ..
thanks & regards
vijay
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