ये ख़बर हालांकि अख़बार में छप चुकी है......लेकिन मैं शायद पढ़ नहीं पाई थी......परसों दिनेश के ब्लॉग पर पढ़ा तो पाया कि शायद मेरे जैसे और लोग भी होंगे.....जिनसे ये खबर छूट गई होगी.....ये एक ऐसी शर्मनाक ख़बर है ....जिस पर हर भारतीय को शर्म और गुस्सा दोनों एक साथ महसूस होगा...
ये ख़बर मैं..एज़ इट इज़ रख रही हूं......बिना किसी फेरबदल के...
दांवपेच और लाल फीताशाही ने ताज और ओबेराय होटल में आतंकियों को खूनखराबे के लिए पूरा मौका दिया। हालात से निपटने के लिए मदद मांगी जाती रही लेकिन...... सुनने वाला कोई नहीं था। हमले वाली रात की बिखरी छोटी-छोटी घटनाएं जोड़ने से जो तस्वीर उभरती है.......वो अराजकता, भ्रम और घनघोर लापरवाही की है।
उसरात जैसे कोई सरकार नहीं थी, कोई सिस्टम नहीं था, कोई जवाबदेही नहीं थी। केंद्र सरकार को मिली रिपोर्टो से पता चलता है कि हमले की गंभीरता को समझते हुए भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में बार-बार अफसरी बाधाएं खड़ी की गईं।
पहले मदद की चिट्ठी भिजवाओ.............
हमले की रात नौसेना की पश्चिमी कमान ने बिना लिखित आग्रह के कमांडो भेजने से दो टूक इनकार कर दिया। पुलिस कमिश्नर ने चिट्ठी भेजी तो यह कहकर खारिज कर दी गई कि पत्र मुख्य सचिव का होना चाहिए। तब मुख्य सचिव को लेटर फैक्स करना पड़ा। हालांकि सरकारी नियमों के मुताबिक जरूरत पड़ने पर एक जिलाधिकारी तक सेनाओं से मदद मांग सकता है। इस दौरान राज्य के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अफसर मदद के लिए दिल्ली बराबर फोन करते रहे।
दो घंटे बाद पहुंचे कमांडो...........................
फरियाद के करीब दो घंटे बाद मौके पर पहुंचे नौसेना की कमांडो टीम ने होटलों के अंदर जाने से यह कहकर इनकार कर दिया कि वे ऐसी कार्रवाइयों के लिए प्रशिक्षित ही नहीं हैं। वे बाहर से ही गोलियां चलाते रहे, अंदर आतंकी घूम-घूमकर बंधकों की हत्याए करते रहे।
दिल्ली में भी था बुरा हाल..................
दिल्ली में भी एनएसजी के कमांडो की टीम घंटों एयरपोर्ट पर इंतजार करती रही। जरूरी रूसी आईएल-76 विमान न तो पालम एयरफोर्स स्टेशन पर था ना ही हिंडन पर...... तब इसे चंडीगढ़ से मंगवाया गया। एनएसजी के मुख्यालय मानेसर (हरियाणा) से भी खस्ताहाल बसों से कमांडो को रवाना किया गया।
टीम देर रात दो बजे मुंबई पहुंची....................
क्योंकि विमान सुस्त चाल था और तीन घंटे लग गए। बसों से रवाना हुई कमांडो टीम.......मुंबई हवाई अड्डे से टीम को बिजी सड़कों से बिना पायलट कारों के आम बसों से मौके के लिए रवाना कर दिया गया। जब तक उन्होंने होटलों के बाहर पोजिशन ली, सुबह हो आई और आतंकी काफी खून बहा चुके थे। एक सरकारी अफसर का कहना है कि कमांडो कार्रवाई में करीब छह घंटे की देरी हुई और इससे मौतों की तादाद बढ़ी।
आपदा प्रबंधन का पता नहीं था.......................
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि कोई ‘सिंगल प्वाइंट कमांड’ न होने से समय से मदद नहीं मिल सकी। कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर की अगुवाई वाली आपदा प्रबंधन समिति की बैठक भी आधी रात के बाद ही हो सकी। क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन रात सवा 11 बजे तक एक डिनर पार्टी में थे.......... और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जब उन्हें और बाकी सदस्यों को तलब किया तब वे रेस कोर्स रोड पहुंचे। इस अफसर का कहना है कि समिति के सदस्य घरों पर टीवी देखकर और मोबाइल पर बात करके घटनाक्रम पर नजर रख रहे थे।
क्या कोई भी कुछ कह पाएगा इस घटनाक्रम पर......क्या हमें अपनी नाराज़गी प्रकट करने का हक़ नहीं है......क्या हमें ये हक़ नहीं होना चाहिए कि हम इन सरकारी नुमाइंदों से जवाब मांगे.....और अगर ये जवाब ना दें तो इन्हें ताउम्र उस पद पर ना बैठने दिया जाए......जब ये सबसे ज्यादा संजीदा वक्त में अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह नहीं कर पाएं.....क्यों हमें हक़ नहीं है...चीखने का ,गुस्सा करने का और बदला लेने का......
16 comments:
yah bharat desh hai mera, jahan daal daal par ulloo aur giddhon ka basera.
per harbaour per ameriki adhikarion ko Japani hamla ki suchana 48 ghante pahale mil gai thi...system lalfitashai ka shikar tha. mahua!!!Brillient work!!!
इसी लिए तो कहते है"मेरा भारत महान!!!"D
very shemfull act
asi khabaro ko pad kar man bahut duki hota hai hamare desh ke afsaro aur netao par jo aaj apni jeet ka jashan mana rahe hain.
बहुत ही शर्मनाक और कडवा सच
ये कड़वी हक़ीक़त है लालफ़ीताशाही की। इस पर सभी को सोचना चाहिए।
ha-ha-ha-ha-ha-ha-....aap bhi ajeeb baat karti ho....hame sab chizon kaa haque hai...chikhne ka.. chillaane kaa...aur ham kar bhi kyaa sakte hain....javaab mile yaa naa mile....!!
शर्मनाक!!
वाकई जवाबदेही बहुत से लोगो की बनती है ,तभी पश्चिमी मीडिया भारतीय कार्यवाही की भी खिल्ली उडा रहा था .कमांडो को एक्सपोज़ करना भी .....टी वी के सामने ग़लत है
पर इससे हम कुछ सबक ले पाएंगे, आगे के लिए, लगता नहीं।
वाकई इस खबर को नहीं पढ़ पाये थे धन्यबाद /अन्तिम लाइन पर निवेदन .वेशक हक है मानव अधिकार ने भी दिया है संबिधान ने भी किसने रोका चीखो चिलाओ जी भर कर क्या फर्क पड़ेगा अन्तिम शब्द ""और बदला लेने का "" ये अधिकार नहीं है
जिम्मेदार लोगो को तो इस बात का एह्सास् भी नही होगा.
ये खबर मुझसे छूट गई थी ....इसलिए इसे ब्लॉग पर डाला...मतलब पूरा हुआ...मेरे जैसे कितने ही लोग थे जो इसे नहीं पढ़ पाए थे...लेकिन इसका आउटपुट मुझे अब तक नहीं मिला....हम कर क्या सकते हैं...ऐसी हरकतों पर,क्या हैं हमारे अधिकार....और किस तरह से इस सिस्टम को बदल सकते हैं...कौन सी वो आवाज़ें हैं...जो उठेंगी और जिनसे ये लालफीताशाही भी घबराएगी...हिसाब मांगने पर
bahut achchha likha hai apane.
"कर चले हम फ़िदा जान ओ तन साथियो, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो ....... !
आतंक से लड़कर , जान न्योछावर करके भी न मिला इन शहीदों को चैन , और अब स्वार्थ से भरी राजनीति के शब्दों से आहत हैं वो रूह.
खून देकर औरों की आजादी को बचाया, अपनों को दूरी के दर्द से रुलाया , पर किसको फिक्र है उस आजादी की रक्षा की .... शायद किसी को नही ...... हम तब तक इसी तरह इन हादसों का शिकार बनते रहेंगे और भूल जायेंगे कुछ समय बाद... सिर्फ़ कुछ शब्दों की टिप्पडी करके ...." आह दुर्भाग्य , कितना ग़लत है , शर्म की बात है..."
हुंह !! क्या हम कभी सोचते हैं इन सारी घटनाओं से सबक लेने की और बाहर आने की... शायद नही... क्यूँ की कोई अपने रजाइयों से बहार नही आना चाहता..... लोग फ़िर से खुश हैं , सारे "day" मनाये जायेंगे .... उत्सव होंगे , मिठाइयाँ बाटी जाएँगी ... जो चुनाव जीत गए वो भंगरा कारेंगे और फ़िर से अपने कान बंद कर लेंगे इन घटनाओं की गूज से ...
सिवाय उनके जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया है , दुखी हैं, जीवन जीने के लिए एक कारण ढूँढ रहे हैं और सिर्फ़ एक सवाल पूछते हैं ," क्यूँ ये घटनाएं हो रही हैं , कौन जिम्मेदार है इन सब का, जबकि सरकार प्रत्येक वर्ष लगभग २००० करोड़ सिर्फ़ रक्षा बजट पर व्यय करती है और देश मैं १२५ करोड़ से ज्यादा नागरिक हैं जिनमें लगभग ४० करोड़ सजग और समझदार शिक्षित लोग हैं..?"
हमें आगे बदना होगा सिर्फ़ अपनी टिप्पडीया देने से कुछ नही होगा..... जागो अगर अब नही जागे तो फ़िर हमेशा के लिए इस डर का गुलाम बना दिया जाएगा ..... आपकी रचना और आवाज की अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद ...
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