Wednesday, December 3, 2008

इस्तीफा

अभी-अभी की खबर......महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है.....जी हां,बिल्कुल वोही देशमुख जो घायलों के मरहम पोंछने और ---साइट विज़िट----के लिए अपने फिल्मी बेटे रितेश और फिल्म डाएरेक्टर राम गोपाल वर्मा के साथ चैनलों में नज़र आए थे...... गोया मातम-पुर्सी ना होकर कोई फिल्मी शो चल रहा हो...

हार्दिक खुशी हुई उनका इस्तीफा मंजूर हो जाने की......क्योंकि सिर्फ दो दिन पहले ही पत्रकारों से बात करते देशमुख कह रहे थे......मैनें अपना इस्तीफा आलाकमान को सौंप दिया है और -----अगर उन्हें लगता है--- कि मैनें अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई तो मैं तैयार हूं .....

तो लीज़िए देशमुख साहब अब तो मुहर भी लग गई आपके गैर ज़िम्मेदाराना रवैए और आपकी करतूतों पर.........पर शायद आप... अब भी मानने को तैयार नहीं होंगे कि आपसे कुछ ग़लती हुई है........

तो पहले शिवराज पाटिल फिर आर आर पाटिल और अब विलास राव देशमुख.........लगता है जैसे कोई नाम छूट गया.....हां केरल के मुख्यमंत्री तो छूट ही गए.....अच्यूतानंदन जी,जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में जितने भी घटिया काम किए होंगे उनमें सबसे निचले दर्जे का काम उन्होंने अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव में किया......एक शहीद का अपमान करके......त्योरियां दिखा के ........और अपनी भूल ना मानने के लिए.........लेकिन क्या करें राजनीति चीज़ ही ऐसी होती है कि कुछ भी करा दे.....और आखिरकार राजनैतिक दबाब के चलते आपको माफी मांगनी पड़ी ........अफ़सोस आपकी कुर्सी नहीं गई....लेकिन हमें इंतज़ार रहेगा........
हालांकि आप जैसों के जाने से कोई खास फ़र्क नहीं पड़ेगा....आप जाएंगे कोई और आ जाएगा....आपकी उन्हीं ज़िम्मेदारियों को संभालने.......

7 comments:

mehek said...

istife ke line mein aur ek naam,magar kyaistifa dene se wo log chut gaye,unhe jawab dena hoga?

विजय तिवारी " किसलय " said...

tanu jee
namaskaar
saamayik evam tvarit aalekh ke liye badhaai
aapka
vijay

roushan said...

जवाबदेही की सीमा इस्तीफा ही क्यों?

महुवा said...

ये शायद जवाबदेही की सीमा नहीं है...ये वो एक्स्ट्रीम स्टेप है,जो ये लोग चाहते ना चाहते उठाते हैं,अपनी कमियों को छुपाने और उन पर पर्दा डालने के लिए...ये उनकी अकर्मण्यता पर एक मौहर है जो ये वैधानिक रुप से साबित करती है....कि जनता ने ग़लती की इनको कुर्सी देकर.
ये तो वो क़ीमत है जो ये चुकाते हैं,अपनी ईमानदारी को बरकरार नहीं रख पाने पर और ये शायद बेईज्ज़ती का वो एहसास भी होता होगा जो पता नहीं ये महसूस कर पाते होंगे या नहीं कि एक तख्त पर बिठाकर वहां से इन्हें लात मार कर नीचे गिराया जाता है....
चूंकि ये लोग राजनैतिक बिरादरी के हैं इसलिए मुझे ये उम्मीद कम ही है कि इस तरीके का कोई एहसास इन्हें छूकर भी जाता होगा...ये वो सारी बातें हैं ,जो मुझे लगती हैं कि शायद ऐसा होता होगा....

roushan said...

आपकी बात सही है कि हम आप जैसे लोग ये सोचते हैं कि शायद ऐसा इन्हे लगता हो.
पर कब तक लोग गलतियाँ करते और उसके बाद इस्तीफा देकर छूटते रहेंगे

शिवेंद्र said...

इन सारी परेशानियों के लिए शायद कुछ हद तक जिम्मेदार हम भी हैं...

naresh singh said...

हालांकि आप जैसों के जाने से कोई खास फ़र्क नहीं पड़ेगा....आप जाएंगे कोई और आ जाएगा....आपकी उन्हीं ज़िम्मेदारियों को संभालने....... इतना निराश मत होइये कभी तो बदलाव आयेगा ।