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Monday, December 15, 2008

PAK-THE WORLD'S MOST DANGEROUS PLACE........

शुरुआत अगर हम दिसंबर से करें तो लगभग एक साल हो चला है....पिछले दिसंबर में भी पाकिस्तान भारतीय मीडिया पर छाया हुआ था और इस बार भी कमोबेश ऐसा ही है....फर्क सिर्फ इतना है कि पिछले साल वहां चुनाव का माहौल था और उसके बाद पीपीपी नेता बेनज़ीर भुट्टो की हत्या कर दी गई...थोड़े अंतराल के बाद चुनाव भी हुए और लोकतंत्र भी क़ायम हुआ लेकिन पाकिस्तान का दोनों तरह का संघर्ष अब तक जारी है-- आतंकवाद और आर्थिक संकट दोनों......बेनज़ीर की हत्या के बाद नए साल पर ECONOMIST के मुखपृष्ठ का शीर्षक था.... PAK-THE WORLD'S MOST DANGEROUS PLACE........

अभी हालात थोड़े जुदा थे...पूरा विश्व आर्थिक मंदी की चपेट में था और सिविल सोसायटी का ध्यान दूसरी तरफ था....लेकिन मुंबई पर पाक आतंकियों की कार्यवाई ने पूरे विश्व में पाक को सुर्खियों में ला दिया.....

हालांकि भारत और पाक दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं....लेकिन कभी-कभी लोकतांत्रिक खुलापन भावनाओं को भड़काने का मौका भी देता है......जिसका उदाहरण हम सबने देखा मुम्बई हमले के बाद किस तरह से बीजेपी ने भड़काऊ विज्ञापन देकर वोट बटोरने की कवायद की.....हालांकि ऐसा काम पहले कांग्रेस भी कर चुकी है......इससे सिर्फ एक ही बात का पता चलता है कि राजनीति की धुरी सिर्फ वोट है....वो चाहें कैसे भी आए...फिर चाहें साम,दाम,दंड,भेद की ही इस्तेमाल क्यों ना करना पड़े........सबसे अच्छी बात ये हुई कि इस बार के हमलें में हम सबने राजनीति का पूर्ण नग्न-स्वरुप देखा......और हमारे राजनेता इससे ज्यादा ज़लील पहले कभी नहीं हुए थे......

मुंबई हमलों में अगर विश्व चेता है तो सिर्फ इसलिए क्योंकि इस बार काफी संख्या में विदेशी मारे गए,वैश्विक दबाव के चलते पाकिस्तान बैकफुट पर तो है लेकिन ज़रदारी साहब अब तक ये मानने को तैयार नहीं कि इन हमलों में पाकिस्तान की ही मास्टर माइंड है.....और हां दिल के किसी कोने में मानते भी होंगे तो सार्वजनिक तौर पर स्वीकरोत्ति तो शायद कभी भी ना कर पाएं....

मीडिया कवरेज दोनो तरफ हुआ और दोनों ने ही अपनी-अपनी देशभक्ति दिखाते हुए कवरेज किया जिससे थोड़ा सा बैलेंस गड़बड़ाया भी.....फिर भी पाक के THE DAWN...,DAILY TIMES.....,और FRIDAY TIMES के नेट संस्करण देखने पर कहीं भी बायस नेस नज़र नहीं आई.....

पाकिस्तान एक अलग ही अंदाज़ में फंसा हुआ है,धार्मिक कट्टरता विकास नहीं होने देती और विकास नहीं होने से कट्टरपंथी ताकतें अपना फन और ज्यादा फैलाती हैं और उसे एक दलदल में ले जाती हैं।अगर पाक में इस्लामिक आतंकवादी हैं तो भारत में भी हिंदु आतंकवाद के चेहरे बेनकाब होने शुरु हो गए हैं.....फर्क सिर्फ इतना है कि भारत लगातार तरक्की कर रहा है....लिहाज़ा इसमें आम हिंदुस्तानी आतंकवादी नहीं है.....बल्कि यहां हिंदु आतंकवाद राजनीति का ही एक खंड है........।

पाकिस्तान ने लंबे समय तक फौजी शासन को झेला है...हम सभी जानते हैं कि फौज और राजनीति दो अलग-अलग पहलू हैं.....दोनों की भाषा अलग,सोच अलग और काम करने का जज़्बा अलग......।लेकिन पाकिस्तान में फौजी शासन देखकर तो उसके हालात पर सिर्फ तरस आ सकता है.......हुकुमतें बदलीं,चेहरे बदले लेकिन पाकिस्तान के हालात नहीं बदले.......।

आज पाकिस्तान अपने ही जाल में फंसा निरीह नज़र आता है...चारों तरफ देखने पर कट्टरपंथी ताकतें---लश्कर-ए-तैयबा,जैश-ए-मोहम्मद और जमातुदावा जैसे संगठन नज़र आते हैं जो पाकिस्तान की ग़रीबी का फायदा उठाकर अपने मंसूबे पूरे करते हैं.....पता नहीं पाकिस्तान कभी अपने गले में फंसी हड्डी निकाल भी पाएगा या नहीं..........।


हालांकि जनरल मुशर्रफ ने भारतीय संसद पर आतंकी हमले के बाद 2001 में पांच आतंकी संगठनों पर पाबंदी भी लगाई थी और थोड़ी बहुत दिखावटी कार्यवाई भी की थी.....जिसके बाद उन्होंने ज़बर्दस्त विरोध भी झेला था....पाक के हालात ही इतने अजीब हैं कि उन्हें बयां करना ही कई बार हास्यास्पद लगता है।


और हां आप सभी को जानकर ये आश्चर्य होगा कि लश्कर के साप्ताहिक अख़बार का प्रिंट ऑर्डर लाख के ऊपर था,साथ ही आतंकी संगठन जिन ठिकानों पर रहते हैं वहां की सुरक्षा को भेदना तो दूर ....परिंदा भी पर नहीं मार सकता......और इन सबके अलावा पाक में 2005 में आए भूकम्प में लश्कर की ही एक शाखा ने जनता की ज़बर्दस्त सेवा कर लोकप्रियता हासिल की थी।


पाकिस्तान इस वक्त सबसे ज्यादा बेबस है क्योंकि भारत के अलावा भी चौतरफा दबाब उस पर पड़ रहा है.......इस वक्त यदि इसने सही कदम नहीं उठाए तो आगे पछताना भी पड़ सकता है......लेकिन पाक से आतंकवाद का खात्मा हो जाएगा ऐसा हम नहीं मान सकते क्योंकि ऐसा तब तक नहीं हो सकता जबतक कि पाकिस्तानी आवाम उन्हें अपराधी नहीं मानती.....लेकिन ग़रीबी औऱ अंदरुनी मसलों से जूझती पाकिस्तानी जनता को ये सब समझने में कई सौ साल लग सकते हैं...क्योंकि वहां डेवलपमेंट नहीं है,शिक्षा नहीं है,रोज़गार नहीं है...कश्मीर को लेकर इतनी नफरत दिलों में घर कर गई हैं कि उसे वॉश-आउट करने में ही कई सदियां लग सकतीं हैं...........

कहते हैं ना खाली दिमाग-शैतान का घर......शायद अगर पाकिस्तान में भी डेवलपमेंट हुआ होता,वहां भी लोगों के पास रोज़गार होता और लोग शिक्षित होते तो शायद ये कट्टरपंथी इस्लाम के नाम पर जेहाद ना छेड़ पाते.......भोले -भाले लोगों की भावनाओं को इस तरह से कैश ना कर पाते और तब शायद इस्लाम एक दूसरे ही स्वरुप में पहचाना जाता...........सिर्फ एक ही दुआ है.....पाकिस्तान के लिए.....कि ये मुल्क भी तरक्की की राह पर चले और मासूम जनता की अज्ञानता दूर हो औऱ हम सभी को इस कट्टरपंथी आतंकवाद से निजात मिले........
आमीन......