Friday, August 6, 2010

बस प्यार .........!!

दिखायी देते हो तुम.....
मासूमियमत से सोते......
सिगरेट पीते....
तफ्सील से जीते....
बिना बात गमकते......
कहीं किसी सपनों में जैसे,
कभी एकदम ज़रा बाहर
किसी पगडंडी पर धीमी चाल से चलते
किसी नदी में मछली पकड़ते...
सर्द बर्फ से चेहरा धोते...
और उसी बर्फ में गर्मी से धधकते....
किसी दौड़ते वक्त को पीछे धकेलते...
कभी माराडोना तो कभी ग्रास की बात करते....
फिर वहीं नीली हरी रपटीली घास पर फिसलते
क्यों सपनों से बाहर नही जाते
वापस हर बार धीमी रफ्तार के साथ
मेरी रगो में बारंबार..
गुमराह करती राहों में ....
खो जाते हो मेरे ही साथ
मेरे अधूरे-अबूझे सपनों की दिशाएं
कभी कभी (मैं)दिशाहीन जैसे भी....
रात को दिन और दिन को रात बनाती जैसे...
और उसी में तुम....
तुम्हारी उन्नीदीं भारी पलकें
मुझे और दिशाहीन बनातीं....
कहां चला जाता है....
मेरे चारो तरफ का जीवन
कहां छुप जाता है....जीवन का यौवन
सपनो के बीच...
जबतुम दिख जाते हो....
बस आ ही जाता है ...
तुम पर और खुद पर
बस प्यार .........!!

12 comments:

डिम्पल मल्होत्रा said...

चाहते भी क्या क्या फरेब देती है.वो हर जगह नज़र आते है...

P.N. Subramanian said...

सुन्दर रचना. आभार.

अनामिका की सदायें ...... said...

waah kya kamaal likh diya. bahut badhiya.

डॉ .अनुराग said...

आमद अच्छी लगी..

जैसे किसी उदास शाम
कोई ख़ुशनुमा याद
घर लौटते वक़्त
किसी चौराहे पर मिल जाती है
उसी तरह
जब तुम
कोई नज़्म बनकर
काग़ज़ो मे दिख जाती हो
ये दिन इक ज्ररा होता है ये रात मोती होती है ..
some times i feels one presents is other's past....
look the time when i was moving in the same thoughts....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मंगलवार 10 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

http://charchamanch.blogspot.com/

Sadhana Vaid said...

बहुत आत्मीय सी प्यारी सी भावपूर्ण रचना ! दिल के कहीं बहुत करीब से छूती हुई गुजार गयी ! बहुत सुन्दर !

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

Avinash Chandra said...

सर्द बर्फ से चेहरा धोते...
और उसी बर्फ में गर्मी से धधकते....
किसी दौड़ते वक्त को पीछे धकेलते...

अच्छा लगता है जब कोई ऐसा लिखता है...बधाई हो.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/241.html

Anonymous said...

bahut hi khoobsoorat rachna...
acha laga pad kar....

Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

Banned Area News : First Trojan asteroid found in gravitational 'dead zone'

earthpage said...

Nice expressions

Unknown said...

,'mahua',
bahut badhiya.
" neeli hari raptili ghaas par fisalte kyo sapnon se bahar nahin jaate."

sapnon ko aise hi shabdon mein pirote rahanaa.