मेरी नींदों मे...
एक लड़की...
कभी जागती है.....
कभी सोती है...
कभी हंसती है....
और कभी रोती है...
हंसती है......तो खुश होता हूं,
मैं...रोता हूं......जब वो रोती है....
हंसती है तो.....
ऐसा लगता है......
अँधेरों मे ख्वाब.... बोती है....
सुबह उठता हूं.... तो ऐसा लगता है...
आज सागर की सतह में मोती हैं...
लेकिन...रोती है तो सुबह नहीं होती है.....
BRAJESHWAR MADAN ........
5 comments:
वो लड़की सब की नींद में सोती है, कभी हंसती है कभी रोती है....
भावपूर्ण कविता।
वो लड़की...............नीद तो आती है खूब इसका मतलब । बढ़िया लगा आपके ख्याल और विचार को जान कर ।
@nishoo....
ये मेरे ख्याल और कविता नहीं....ये मदान सर की कविता है....शायद आपने उनक नाम नही पढ़ा....
अच्छी कविता है ...
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