Saturday, March 28, 2009

एक लड़की.....एक कविता...

मेरी नींदों मे...
एक लड़की...
कभी जागती है.....
कभी सोती है...
कभी हंसती है....
और कभी रोती है...
हंसती है......तो खुश होता हूं,
मैं...रोता हूं......जब वो रोती है....
हंसती है तो.....
ऐसा लगता है......
अँधेरों मे ख्वाब.... बोती है....
सुबह उठता हूं.... तो ऐसा लगता है...
आज सागर की सतह में मोती हैं...
लेकिन...रोती है तो सुबह नहीं होती है.....
BRAJESHWAR MADAN ........

5 comments:

ओम आर्य said...

वो लड़की सब की नींद में सोती है, कभी हंसती है कभी रोती है....

Anonymous said...

भावपूर्ण कविता।

Unknown said...

वो लड़की...............नीद तो आती है खूब इसका मतलब । बढ़िया लगा आपके ख्याल और विचार को जान कर ।

महुवा said...

@nishoo....
ये मेरे ख्याल और कविता नहीं....ये मदान सर की कविता है....शायद आपने उनक नाम नही पढ़ा....

संगीता पुरी said...

अच्‍छी कविता है ...