इधर एक शोर सा उठता है
मेरे मन में.....
तेरे नाम को लेकर द्वन्द होता है
हर एक पल में......
तेरा नाम मेरे साथ जुड़ता
तो क्या होता....
नाम अपना पूरा करने को
कुछ उमगता है
मेरे मन में......
कुछ ऐसा तुझे भी महसूस
होता है क्या......
जैसा होता रहता हरपल
मेरे मन में........
5 comments:
मेरे मन में .... अच्छा लगा आभार.
एक सुन्दर एहसास।
आपके मन की बात बहुत अच्छी लगी ....
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
वक़्त है
बदलते रहना इसकी फितरत है
मनचाहा होता भी है
और नहीं भी होता है
मनचाहा हो जाता
तो भी
बहुत सा मनचाहा
नहीं भी होता
क्योंकि
वक़्त है
बदलते रहना इसकी फितरत है
(अनुराग शर्मा)
रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति
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