Monday, January 19, 2009

रिश्ते.....

रिश्ते.....
ऐसा कहते हैं कि किसी भी पुराने रिश्ते के खत्म होने का मतलब.........एक नए रिश्ते की शुरुआत होना होता है.....और मैनें ये भी पढ़ा है कि रिश्ते अगर एकबार टूट जाएं तो दोबारा जुड़ नहीं पाते.....लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता......मैं उन पुराने रिश्तों को कभी तोड़ना ही नहीं चाहती जो उन्हें कभी दोबारा जोड़ने की नौबत आए......

मुझे ऐसा भी लगता है कि कोई भी रिश्ता पुराना या नया नहीं होता.....सिर्फ एक रिश्ता होता है....रिश्ते कभी तोड़ने के लिए,तोलने के लिए......,परखने के लिए......,शक करने के लिए.......... या फिर सिर्फ अपना मतलब पूरा करने के लिए नहीं बनाए जाते.....

रिश्ते अजनबियों के साथ भी बन जाते हैं....और रिश्ता बनने के बाद अजनबी....अजनबी नहीं रह जाते.......वो हमारी ज़िंदगी से जुड़ जाते हैं.......किसी न किसी रुप में........वो हमारी ज़िंदगी के रंगों में कुछ इस तरह से घुल जाते हैं कि हम उन्हें हर बार एक नए रंग के रुप में देखने लगते हैं.......

रिश्ते शायद सबकुछ होते हैं.....वो हमारी ज़िंदगी का हिस्सा होते हैं...हमारी ज़िंदगी होते हैं.....वो सुकून होते हैं तो वो जुनून भी देते हैं.....वो एक दूसरे में जुड़े इंद्रधनुषी रंगों की तरह होते हैं जो हर बार चमकने पर एक नई हूक पैदा करते है....एक नया उल्लास भरते हैं......

रिश्ते एक मद्धम संगीत की तरह होते हैं....जो हमारी ही सांसों के साथ चढ़ते और उतरते हैं......वो हमारी ज़िंदगी की लय के साथ बढ़ते औऱ घटते हैं.....ये वो रिश्ते होते हैं जो हमारी ज़िंदगी को पुरसुकून देते है.....

रिश्ते आबशार की तरह होते हैं...रिश्ते एक बिर्थीफॉल की तरह होतें है.....जिसके आगे हम नतमस्तक होतें हैं...और जिसके टकराने से हज़ारों,लाखों,करोंड़ों बूंदे...और फुहारें हमारी आत्मा को ठंडक देते हैं.......
और हां.....शायद रिश्ते उस सिगरेट की तरह भी होते हैं....जो अपने अंतिम कश तक अपनी पूरी शिद्दत के साथ जलकर अपना हक़ अदा करती है...

रिश्तें शराब की तरह होतें है....जो अपनी हर बूंद से सामने वाले को उस चरम....उस दुनिया तक पहुंचाती है जहां से उस बाकी किसी की ज़रुरत नहीं रह जाती.... .....रिश्ते उन राहों की तरह भी होते हैं....जो अपने हमसफर को अपनी मंजिल तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं...... ...रिश्ते उन खोजती आँखों की तरह होते हैं....जिन्हें अपनी मंजिल पर पहुंचाने के बाद वहां से हटाना नामुमकिन होता है......
रिश्ते हमें पोषित करते हैं,हमें सींचते है,हमें खिलकर बड़ा बनने को प्रेरित करते हैं....रिश्ते सबकुछ होते हैं......

लेकिन कई बार.......वक्त की ऐसी बारिश होती है.......जब हमारी ज़िंदगी से ये इंद्रधनुषी रंग धुंधले पड़ते नज़र आते हैं.....और हमें ऐसा लगता है.....जैसे ये इसी बुरे वक्त की बारिश के साथ हमेशा के लिए धुंधले पड़ते जा रहे हैं......औऱ शायद हमेशा के लिए हमारी ज़िंदगी बेरंग होने जा रही है.......

लेकिन उस वक्त शायद हम बारिश के बाद आने वाली धूप को भूल जातें हैं.......कि जब ये बारिश थमेगी और धूप खिलेगी तब बारिश में धुले इन रंगों की चमक कुछ और ही होगी....तब शायद एक बार फिर ये रंग अपनी दोगुनी चमक के साथ खिलेंगे और ज़िंदगी को एक नई चमक से गुलज़ार करेंगे
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बस एक उसी धूप के इंतज़ार में

9 comments:

P.N. Subramanian said...

बहुत सुंदर. बिल्कुल सही कहा आपने. बारिश के बाद पेड़ पौधों को ही देख लें. पत्तियॉं की रंगत कितनी आनंद दायक रहती है.

Unknown said...

bahut accha likha hai....

संगीता पुरी said...

तब शायद एक बार फिर ये रंग अपनी दोगुनी चमक के साथ खिलेंगे और ज़िंदगी को एक नई चमक से गुलज़ार करेंगे
...................................................................................
बस एक उसी धूप के इंतज़ार में
सकारात्‍मक सोंच !! वाह !!

रंजू भाटिया said...

रिश्तों की खूबसूरत बुनी इबारत आपने इस लेख में ..उस धूप की इन्तजार सबको रहती है ..बहुत बढ़िया

वर्षा said...

इंतज़ार जल्द पूरा हो

Ek ziddi dhun said...

kya ho raha hai...Shabdo.n se khel rahi ho...

महुवा said...

नहीं...शायद अपने आप से........

अवाम said...

रिश्तों को बहुत ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है अपने. मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि हम नहीं चाहते कि रिश्तें टूटे पर सामने वाले को भी तो समझाना चाहिए..

Unknown said...

sigret aur sarab ki risto ke saath tulna achhi ki hai