Monday, December 29, 2008

क्या खोया क्या पाया

पूरा साल खत्म होने चला.....सिर्फ दो दिन बाद हम पहुंच जाएंगे साल 2009 में और ये साल हो जाएगा...बीता साल,पिछला साल...सबकुछ अपने पीछे छोड़ते हुए....एक नई सुबह की शुरुआत करने...फिर से एक सपना देखने,बुनने और उसे पूरा करने की कवायद में.....जाने-अन्जाने इस साल का अतीत भूलने की कोशिश शायद हर इंसान करना चाहेगा....क्योंकि जो कुछ भी इस साल हमने देखा और झेला वो काफी असहनीय था....एक के बाद एक इतनी ठोकरें लगी कि संभलने का वक्त भी कई बार नहीं मिल पाया....रोते झीकते...कभी अपने को,अपने हालातों को तो कभी इन हालातों के लिए ज़िम्मेदार नेताओं को गाली देकर अपना रोष व्यक्त किया तो कभी कसमें खाईं कि ये हालात दोबारा नहीं आने देंगे......गिरकर,एक बार फिर खड़े हुए और सबको ये जताया कि दर्द तो होता है लेकिन उससे बाहर निकलने की कूवत भी हम ही रखते हैं.....

क्या खोया क्या पाया....ये सवाल तो बहुत बड़ा है लेकिन फिर भी ये जानने की थोड़ी -बहुत कोशिश मैनें ज़रुर की है.....अगर साल के शुरुआत से याद करना शुरु करें तो बहुत सारे लोगों को हमनें खोया जैसे-फरवरी में हॉलैंड में 91साल की उम्र में महर्षि योगी....94 साल की उम्र में बाबा आम्टे...96 साल के जस्टिस एच.के खन्ना और इन सबके अलावा रंगकर्मी शीला भाटिया हमारे बीच नहीं रहीं...अप्रैल में शरन रानी......फिर मई के महीने में मशहूर गांधीवादी निर्मला देशपांडे.....जून के साथ ही फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ हमारे बीच नहीं रहे.........उसके बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश यशवंत चंद्रचूड़ा और उसके बाद मशहूर उद्योगपति केके बिरला औऱ उनके बाद महाभारत को एक नई तस्वीर देने वाले बी आर चोपड़ा भी अंतत चले गए।

इस पूरे साल में हमने बहुत कुछ झेला,बहुत कुछ बर्दाश्त किया और साथ ही बहुत कुछ पाया भी.....आना और जाना तो एक शाश्वत नियम है ,लेकिन अगर ये सब एक त्रासदी या दुर्घटना के रुप में हो तो शायद कोई भी याद करना पसंद ना करे लेकिन फिर भी जो कुछ भी होता है वो हमारे जैसे लोगो पर ही होता है.....इसलिए उसे बर्दाश्त भी अगर हम मिलजुल कर करें तो शायद दर्द कुछ कम हो.......इसी साल हमनें कई भयानक मंज़र देखें हैं जिनमें सबसे भयावह रहा बिहार में बाढ़ का कहर.....कोसी का नाम सुनते ही दर्द भरा मंज़र जीवित हो जाता है और सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का हुआ कि इस त्रासदी के दौरान भी नेताओ ने अपनी राजनीति नहीं छोड़ी ....जहां लोगों को रोटी,कपड़ा और सर के ऊपर छत नसीब नहीं थी वहां पूरी-हलुवा बंटवा कर अपने वोट पक्के करने चाह रहे थे...जगह -जगह राजनैतिक पार्टियो के स्टॉल्स लगे हुए थे...जो अपने ही तरीके से अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे थे....इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भगदड़ मची.....करीब 150लोग इसमें मारे गए......राजस्थान के जोधपुर में चंडीदेवी मंदिर में आपाधापी में भगदड़ हुई करीब 250 से ऊपर लोग इसका शिकार हुए..... साथ ही नंदीग्राम और सिंगूर जैसी घटनाएं हमारा सर शर्म से झुका देने के लिए काफी थीं।

इसके अलावा कई अलग तरह के रिकॉर्डस भी बनते नज़र आए....मई का महीना इतना गर्म नहीं रहा,अजीब था कि मई के महीने में उतनी गर्मी नहीं थी जितनी हमेशा ही होती है.....मॉनसून लगभग पंद्रह दिन पहले ही आगया ....लेकिन ग्लोबल वार्मिंग आज भी बहुत लोगों के लिए अन्जान चीज़ है।

बड़ी-बड़ी कामयाबियां भी इसी साल हमारे नाम हुईं.....हमनें चांद पर अपना झंडा फहराया....एटोमिक डील फायनल हुई तो कश्मीर घाटी ने अपनी पहली रेल देखी.....इसके अलावा कश्मीरी पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वोट डालने आगे आए...जम्हूरियत के आगे फीका पड़ा डर और शायद बीस साल बाद ये पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में लोग सामने आए.....और नेशनल कांफ्रेस के उमर अब्दुल्ला सर्वसम्मति से नेता चुने गए.

दुनिया चाहें जैसे चलती रहे लेकिन ब्लू लाइन बसें अपना कहर बरपाती रहीं और मासूम लोगों की ज़िंदगियां लीलती रहीं....इस बीच उड़ीसा के कंधमाल में एक बार फिर बेचारे ईसाई-समुदाय को निशाना बनाया गया.....एक नन का बलात्कार कर हिंदुवादी संगठनों नें अपना सीना चौड़ा किया.....एक के बाद एक खून का नंगा खेल खेला गया....... नन को दिल्ली आकर प्रेस कांफ्रेस करके अपनी आपबीती बतानी पड़ी लेकिन नतीजा शायद आज तक नहीं आया......

सेन्सेक्स.....बड़ा ही बुरा हाल किया इसनें....अच्छे-अच्छों को हिला दिया.....मंदी की मार ऐसी शुरू हुई कि रुकी ही नहीं और कितने ही लोगों की नौकरियां निगलने के बाद भी मंदासुर का आतंक कम नहीं हुआ......अमेरिका जैसा वट-वृक्ष ऐसा हिला कि आसपास सभी को लील गया.....

हां,लेकिन इस बीच अमेरिका ने इतिहास बनाया...पहली बार कोई अश्वेत राष्ट्रपति के पद पर पहुंचा....वाकई बराक ओबामा ने इतिहास लिखा और बहुत अच्छा लगता है जब आप अपने सामने इतिहास बनते देखते हो या इसका हिस्सा बनते हो...

अगर खेल की दुनिया पर नज़र डालें तो भारत ने ओलम्पिक में एक स्वर्ण और दो कांस्य जीते,सचिन तेंदुलकर ने दुनिया के सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया ......तो विश्वनाथन आंनद एक बार फिर विश्व चैम्पियन कहलाए.......जीव मिल्खा सिंह एशिया के गोल्फ चैंपियन बने.....वहीं हमनें ऑस्ट्रेलिया,इंगलैंड,साउथ एफ्रीका,और श्रीलंका से सीरीज़ जीती.......लेकिन साथ ही भारतीय क्रिकेट को दो चमकते सितारों ने क्रिकेट से अलविदा कह दिया......अनिल कुंबले और सौरव गांगुली दोनों ही अद्भुत प्रदर्शनकारी रहे......

सरकार ने पं भीमसेन जोशी को भारत रत्न देकर सम्मानित किया......तो अरविंद अडिगा ने अपनी पुस्तक -द व्हाइट टाइगर- के लिए बुकर पुरुस्कार अपने नाम किया....

इसी बीच निठारी और आरुषी हत्याकांड अब तक अनसुलझा रहा और हमारे ज़हन में हमेशा की तरह कभी न खत्म होने वाले सवाल छोड़ गया......साध्वी प्रकरण भी कुछ -कुछ ऐसी ही दिशा में जाता नज़र आ रहा है...इस प्रकरण में इतने सफेदपोश छिपे हुएं हैं कि सच का बाहर आना बहुत ही मुश्किल रहा......

हां,मगर राजनेताओं ने कोई कमी नहीं छोड़ी अपनी रोटियां सेंकने में.........इस बीच एल-18,बटला हाउस एनकाउंटर भी हुआ जिसमें हमनें अपने जांबाज़ो को खोया लेकिन उस पर भी कई सवाल खड़े किए गए और उस पर भी हर बार की तरह खूब राजनीति हुई....
इन सबके बीच हम भारतीय कभी भी संसद में हुए नोट कांड की निर्लज्जता को नहीं भुला पांएगें जिसे एक-एक भारतीय ने देखा और शर्म से निगाह नीची हुई कि देखो ये है हमारा रिजल्ट,चूंकि हमारा ही बोया हुआ है इसलिए हम ही काटेंगे....

और सबसे भयावह औऱ दर्दनाक रहा देश पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला,हमारी कूवत को ललकार कर आतंकी आए और हमें ही चोट देकर जश्न मनाकर सुकून से सो गए.....हाहाकार मचा,मीडिया को दोष दिया गया ........जिसने एक एक नागरिक का दर्द दिखाया,भारतीयता का वो जज्बा दिखाया जिसने भारत को एक कोने से लेकर दूसरे तक बांध दिया.......और नेताओं की वो कलई खुल गई.....जिससे वो हमेशा ही डरते है.......शिवराज पाटिल,आर आर पाटिल और उसके बाद विलास राव देशमुख को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी लेकिन फिर भी मीडिया पर ही दोषारोपण किया गया.......उस पर लगाम कसने की तैयारी भी की गई........

शर्मनाक घटनाओं की फेहरिस्त अभी खत्म नहीं हुई अन्तुले साहब का नाम कैसे भूला जाए....अच्युतानन्दन जी को कैसे पीछे छोड़ा जाए...जिन्होंने नातो अपनी उम्र का लिहाज़ किया और शहीदों को कैसे सम्मान दिया जाता है..ये तो शायद वो जानते भी नहीं होंगे। और इन सबके बीच पाकिस्तान भी अपनी औकात दिखाने में पीछे नहीं रहा....हमेशा की तरह अपनी गल्ती ना मानने पर आमादा पाक का ये अड़ियल रवैया इस बार भी सबके सामने है... इन सबसे भारत-पाक के थोड़ा सुधरते रिश्तों पर फिर विराम लगा......अमेरिका ने अपना हस्तक्षेप किया औऱ पाकिस्तान ने अपने आप को चारों तरफ से घिरा पाया लेकिन अड़ियल रवैए पर लगाम नहीं लगा पाया....।

8 comments:

ghughutibasuti said...

अच्छा वर्णन किया है बीते साल का। कुछ खोया कुछ पाया । आशा है अगला साल बेहतर रहेगा।
घुघूती बासूती

राजेश कुमार said...

आपने बहुत बढिया लिखा है।

ilesh said...

wonderful....aanewala saal umda rahe yahi shubh kamna....

वर्षा said...

बीता साल तो बहुत उहापोह वाला था, जाने कितना चढ़े और फिसले। उम्मीद रहेगी 2009 आठ जैसा न हो।

Smart Indian said...

अजब इत्तेफाक है - आपने वह सब कहा जो मेरे दिमाग में घूम रहा था.

आपको, आपके परिवारजनों और मित्रों को नव-वर्ष की शुभकामनाएं!

sandeep sharma said...

एक नन का बलात्कार कर हिंदुवादी संगठनों नें अपना सीना चौड़ा किया.....एक के बाद एक खून का नंगा खेल खेला गया....... नन को दिल्ली आकर प्रेस कांफ्रेस करके अपनी आपबीती बतानी पड़ी लेकिन नतीजा शायद आज तक नहीं आया......


सभी घटनाएँ दिल को हिलाने वाली....
देश में एसा ही होता है...

डॉ .अनुराग said...

कुछ चीजे कभी नही बदलेगी....बस हर साल हमें ये तय करना होगा हमने अपने भीतर कैसा बदलाव करना है अच्छा या बुरा

Richa Joshi said...

हर साल हम कुछ ऐसी ही तस्‍वीर देखते हैं बीते साल की लेकिन साल-दर-साल ये और भयावह होती जाती है।