tag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post8059353205998189992..comments2023-11-03T04:02:12.794-07:00Comments on महुवा: कुछ भी तो नहीं पता....महुवाhttp://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-64734948935565983392010-03-16T05:46:45.303-07:002010-03-16T05:46:45.303-07:00nice as younice as youKULDEEP SINGHhttps://www.blogger.com/profile/14950533075640484260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-61497059935999238192009-12-14T01:10:45.609-08:002009-12-14T01:10:45.609-08:00जानती हो ...ये शब्द ही है जो कभी कभी हांफते जेहन क...जानती हो ...ये शब्द ही है जो कभी कभी हांफते जेहन को एक सांस भरके उसे फूंक देते है ......उंघते जमीर को चुटकी काट के जगा देते है .ओर मुझ सरीखे को कभी कभी सलीके से जीना सिखा देते है ....<br /><br />मसलसल भागती ज़िंदगी मे<br />अहसान -फ़रामोश सा दिन<br />तजुर्बो को जब<br />शाम की ठंडी हथेली पर रखता है<br />ज़ेहन की जेब से<br />कुछ तसव्वुर फ़र्श पर बिछाता हूँ<br />फ़ुरसत की चादर खींचकर,<br />उसके तले पैर फैलाता हूँ<br />एक नज़्म गिरेबा पकड़ के मेरा<br />पूछती है मुझसे<br />"बता तो तू कहाँ था?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-16703822298567955352009-12-06T23:28:11.303-08:002009-12-06T23:28:11.303-08:00आज दिनों बाद "महुआ" पर हलचल दिखी...कहाँ ...आज दिनों बाद "महुआ" पर हलचल दिखी...कहाँ थीं आप?<br /><br />हमेशा की तरह उलझन कि नज़्म की फेहरिश्त में रखूं कि एक कवितानुमा खत...?<br /><br />"हाथ थामने की मियाद" वाली बात मन को छू गयी।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-44416898562617636082009-12-04T07:45:48.835-08:002009-12-04T07:45:48.835-08:00इस इश्क के चक्कर में बीमार हैं कई ।
शायद कोई हकीम ...इस इश्क के चक्कर में बीमार हैं कई ।<br />शायद कोई हकीम इनका भी इलाज करे।।<br /><br />प्यार में बेचैनी का इससे बेहतर नमूना नहीं हो सकता...अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-76314301160460419032009-12-04T02:40:26.232-08:002009-12-04T02:40:26.232-08:00शब्दों से जैसे खेल रहीं हैं आप ....... आवेग का उन्...शब्दों से जैसे खेल रहीं हैं आप ....... आवेग का उन्मुक्त प्रवाह ......... बहुत खूब लिखा है ........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-85636838914216362922009-12-03T12:47:01.099-08:002009-12-03T12:47:01.099-08:00सुन्दर प्रवाह,,बेहतरीन भाव!!! उम्दा अभिव्यक्ति..सुन्दर प्रवाह,,बेहतरीन भाव!!! उम्दा अभिव्यक्ति..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-85578088006274009322009-12-03T09:06:15.917-08:002009-12-03T09:06:15.917-08:00अच्छा है:::सपनों का सतरंगी गलीचा और अच्छी नींद क...अच्छा है:::सपनों का सतरंगी गलीचा और अच्छी नींद का इंतजार। हाथ थामे रखने की मियाद खत्म होने पर भी उस अहसास को बचाए रखना बढि़या है, कई रंग दिखे यहां।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.com