tag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post3147050984800140958..comments2023-11-03T04:02:12.794-07:00Comments on महुवा: बाज़ार/khabarमहुवाhttp://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-35156406493650082262008-08-21T10:11:00.000-07:002008-08-21T10:11:00.000-07:00तनु जी, आपका 'बाजार/khabar' पढ़ा। सचमुच संवेदनाओं ...तनु जी, <BR/>आपका 'बाजार/khabar' पढ़ा। सचमुच संवेदनाओं को झकझोर दिया इसने। हालांकि लंबा होने के वजह से थोड़ा बोझिल भी हो गया है। फिर भी आपने जो लिखा है, वो सोचने पर मजबूर करता है। आपने ख़बर के अंदर से ख़बर निकाला। ये काबिले तारीफ है। एक बाप का अपनी मुंहबोली बेटी से शादी करने का मतबल सिर्फ एक चटपटी ख़बर नहीं है, बल्कि ये समाजिक मान्यताओं और मूल्यों की विसंगतियों को भी उजागर करता है। आपने ब्लॉग में देश और समाज से जुड़ी अनोखी, दिलचस्प और मर्मस्पर्शी आलेखों को जगह दे रही हैं, ये आपकी गंभीर वैचारिक बौद्धिक क्षमता को उजागर करता है। मुझे विश्वास है आप भविष्य में इस तरह का लेख लिखती रही, तो निश्चित तौर पर ख़बरों की दुनिया में अलग और सबसे अगले पायदान पर नजर आएंगी। आपको हमारी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं-अजय शेखर प्रकाश, वॉयस ऑफ इंडियाअजय शेखर प्रकाशhttps://www.blogger.com/profile/15786201677953168280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-37220305145208153812008-08-17T02:36:00.000-07:002008-08-17T02:36:00.000-07:00tanujee,hridya vidarak aur marasparshi blog padhka...tanujee,hridya vidarak aur marasparshi blog padhkar aakhe bhar gai,pasand aaya.shukriyaavinashhttps://www.blogger.com/profile/17097220046154026541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-38945933098502555732008-08-15T21:58:00.000-07:002008-08-15T21:58:00.000-07:00नए चिट्टे की बधाई, निरंतर सक्रिय लेखन से हिन्दी ब्...नए चिट्टे की बधाई, निरंतर सक्रिय लेखन से हिन्दी ब्लॉग्गिंग को समृद्ध करें <BR/>आपका मित्र <BR/>सजीव सारथीSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-65007301811073661932008-08-15T08:33:00.000-07:002008-08-15T08:33:00.000-07:00तनु जी, आगाज़ अच्छा है। सिलसिला बनाए रखें। जो हो र...तनु जी, आगाज़ अच्छा है। सिलसिला बनाए रखें। जो हो रहा है, उसमें गलत क्या और क्यों है... निरंतर लेखन आपको इसके सही जवाब तक भी पहुंचा देगा। मानवीय संवेदनाएं अगर मरी हैं तो उसका स्रोत इंसान के अंदर ही नहीं, बाहर भी है। समाज और कानून का सख्त अनुशासन ही इंसान को इंसान बनाए रखता है। वरना उसमें और जानवर में कोई फर्क नहीं है।<BR/>मसला आपके बड़ा संवेदनशील उठाया है, जो उत्तराधिकार के कानून ही नहीं, हमारी सामाजिक सोच और प्रशासनिक व्यवस्था की एक बड़ी खामी को उजागर करता है।<BR/>और हां, थोड़ा छोटा लिखने की कोशिश करें।<BR/>कमेंट से ये वर्ड वेरिफिकेशन भी हटा दें। इसकी ज़रूरत नहीं है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7028992842128488772.post-64858358497021156952008-08-15T06:58:00.000-07:002008-08-15T06:58:00.000-07:00ब्लॉग की शुभकामनायें तनु जी व् अच्छी प्रस्तुति. सा...ब्लॉग की शुभकामनायें तनु जी व् अच्छी प्रस्तुति. साधुवाद-शुर्किया. लिखते रहिए.<BR/>---Amit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.com